छात्र कभी भी यह 6 काम ना करें नहीं तो असफलता मिलेगी
जीवन को अच्छी दिशा में आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी होती
है| अच्छी शिक्षा ही अच्छा भविष्य बना सकती है|ऐसे में अगर किसी भी
विद्यार्थी का ध्यान इधर उधर भटक जाए तो ऐसी जिंदगी भी बर्बाद हो सकती है
|क्योंकि आचार्य चाणक्य ने सफलता के लिए कई सारे राज बताए हैं | आचार्य
चाणक्य का मानना है कि पढ़ाई के दौरान कई बातों का ध्यान देना अति आवश्यक
है चाणक्य ने ऐसी 6 बाते बताई है जिनसे दूर रहना ही बेहतर है |चलिए जानते
हैं चाणक्य द्वारा बताए गए इन्हीं बातो को |
पहली बात है कामवासना -अगर कोई छात्र कामवासना में व्यस्त होता है तो उसको पढ़ाई में मन नहीं लगता ऐसे में कामवासना के विचार से मन हमेशा भटकता रहता है| इसलिए छात्रों को कामवासना से दूर ही रहना बेहतर होता है|
दूसरा है क्रोध-आचार्य चाणक्य कहते हैं कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है मनुष्य के जीवन में क्रोध आते ही वह अपना संतुलन खो बैठता है और सोचने समझने की शक्ति भी खो बैठता है |इस क्रोध से छात्र हमेशा अपना ही नुकसान करा सकते हैं इसीलिए चाणक्य कहते हैं कि छात्रों को क्रोध से दूर होना चाहिए|
तीसरा है लालच-लालच अध्ययन के मामले में सबसे बड़ा रोड़ा माना जाता है| यह कहां भी गया है कि लालच बुरी बला हैऔर छात्रों को कभी भी लालच नहीं करना चाहिए|
चौथा है स्वाद-छात्र जीवन को तपस्वी की तरह माना गया है छात्रों को स्वादिष्ट आहार का लोभ छोड़ देना चाहिए और उन्हें संतुलित आहार लेना चाहिए |
पाचवा है श्रृंगार-छात्र शैली में हमेशा सरल जीवन जीना ही सबसे बेहतरीन होता है| आवश्यकता से अधिक श्रृंगार करने वाले छात्रों का मन हमेशा पढ़ाई से और दूर होता है|अत्यधिक सिंगार करने से समय की भी बर्बादी होती है|
छठा है मनोरंजन-आचार्य चाणक्य का कहना है कि अत्यधिक मनोरंजन छात्र जीवन के लिए अच्छा नहीं होता | जितना मनोरंजन की जरूरत हो उतना ही मनोरंजन करें|
पहली बात है कामवासना -अगर कोई छात्र कामवासना में व्यस्त होता है तो उसको पढ़ाई में मन नहीं लगता ऐसे में कामवासना के विचार से मन हमेशा भटकता रहता है| इसलिए छात्रों को कामवासना से दूर ही रहना बेहतर होता है|
दूसरा है क्रोध-आचार्य चाणक्य कहते हैं कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है मनुष्य के जीवन में क्रोध आते ही वह अपना संतुलन खो बैठता है और सोचने समझने की शक्ति भी खो बैठता है |इस क्रोध से छात्र हमेशा अपना ही नुकसान करा सकते हैं इसीलिए चाणक्य कहते हैं कि छात्रों को क्रोध से दूर होना चाहिए|
तीसरा है लालच-लालच अध्ययन के मामले में सबसे बड़ा रोड़ा माना जाता है| यह कहां भी गया है कि लालच बुरी बला हैऔर छात्रों को कभी भी लालच नहीं करना चाहिए|
चौथा है स्वाद-छात्र जीवन को तपस्वी की तरह माना गया है छात्रों को स्वादिष्ट आहार का लोभ छोड़ देना चाहिए और उन्हें संतुलित आहार लेना चाहिए |
पाचवा है श्रृंगार-छात्र शैली में हमेशा सरल जीवन जीना ही सबसे बेहतरीन होता है| आवश्यकता से अधिक श्रृंगार करने वाले छात्रों का मन हमेशा पढ़ाई से और दूर होता है|अत्यधिक सिंगार करने से समय की भी बर्बादी होती है|
छठा है मनोरंजन-आचार्य चाणक्य का कहना है कि अत्यधिक मनोरंजन छात्र जीवन के लिए अच्छा नहीं होता | जितना मनोरंजन की जरूरत हो उतना ही मनोरंजन करें|
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